जैसा इंसान बोता है वैसा ही काटता है।
जिसने भी कहा है सच ही कहा है कि जीवन एक खेती की तरह है जो बोया जायेगा वही कई गुना हो के मिलेगा। हवा बोने वाले तूफान ही काटेंगे,पुरानी कहावत है कि बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से खाय।सीधा सा अर्थ ये है कि आम खाने के लिये आम का पेड़ लगाना चाहिये। मतलब ये है कि जैसा हम खुद के लिये चाहते हैं वैसा पहले हमें दूसरे के लिये होना चाहिये।
अपने रवैये का अवलोकन कीजिये।
सबसे पहले हमको ये देखना चाहिये कि हमारा रवैया समाज के प्रति कैसा है वैसा ही समाज का व्यवहार हमारे प्रति होता है।किंतु करते हम हमेशा उल्टा ही हैं कि हम खुद तो समाज के प्रति बहुत ही उदासीन दृष्टिकोण रखते है।लेकिन उम्मीद ये रखते हैं कि हर कोई हमारा सम्मान करे हमारे विचारों को सुना जाय और उन पर अमल किया जाय क्योंकि वो हमारे विचार हैं और हम महान चिंतक हैं ये गलतफहमियाँ हमने सहेज के रखी हुई हैं।
विचार करने योग्य बात ये है कि क्या ये सम्भव है कि कोई किसी को बेवजह सम्मान दे।जबकि उसके प्रतिउत्तर में उसको सम्मान नहीं मिल रहा है अपितु ढंग से उसकी बात भी सुनी नहीं जा रही है। जबरदस्ती सम्मान कभी भी हासिल नहीं किया जा सकता।
जीवन का सीधा गणित है।
जीवन का सीधा सा गणित ये है कि हमको पाने से पहले देने की प्रवृति का विकास करना होगा। यदि हम चाहते हैं कि हमें सम्मान मिले तो हमको पहले सम्मान देना शुरू करना चाहिये। यदि हम चाहते है कि धन समपत्ति हमको मिले तो उसके लिये हमको प्रयास करना शुरू करना होगा। यदि हम चाहते हैं कि समाज में हमारे विचारों को अहमियत मिले हमारे विचार समाज में अपना स्थान बनायें जो पहले हमको हर एक व्यक्ति के विचारों का सुनना और उनके विचारों का सम्मान करना शुरू करना होगा।
शुरूआत खुद से कीजिये।
पहले खुद से शुरूआत करने की परिकल्पना पहले थोडा सा मन को खटकती है कि जब तक हमारे पास कोई चीज है ही नही तो देना कैसे शुरू कर सकते है। किंतु जीवन ऐसा ही है ये कभी भी सीधी रेखा में चलने वाली चीज नहीं है। जीवन में हमेशा उसको खुशियों से भरा है जिसने दूसरों की खुशियों की परवाह की है। जिसने दूसरों की खुशियों के लिये अपने समय का बलिदान दिया हैै। उस को समाज ने सर आखों पे बिठाया है और समाज में उनका ही उच्च स्तर का सम्मान हुआ है।
खुद पर करें भरोसा।
जितने भी इस दुनियाँ में महान से महान समाज सुधारक वैज्ञानिक राजनीतिज्ञ दार्शनिक हुये है जिनका कि नाम और काम इतिहास के पन्ने में हमेशा- हमेशा के लिये दर्ज हो गया है। उन्होंने कभी ये नही सोचा कि अगर हम समाज के लिये अपने जीवन का बलिदान कर रहे हैं तो समाज इसके बदले हमें क्या देगाा उन्होने बस अपना काम किया जो उनको लगा ये हमें करना चाहिये और इतिहास गवाह है कि उनका नाम इतिहास में अमर हो गया है। समाज आज उनको उनके महान कार्यों के लिये याद करता है और हमेषा उनका ऋणी रहेगा।
दूसरों की तारीफ करना शुरू करें।
तारीफ सुनना सबको पसंद है किंतु कितने लोग हैं जो दूसरों की तारीफ खुले दिल से करते हैं उपहार लेना सबको अच्छा लगता है किंतु कितने लोग हैं जो उपहार देते है। देना कभी भी इस बात का प्रमाण नहीं है कि देने वाले के पास बहुत सम्पदा है हर प्रकार, तभी वो दे पाया। दरअसल देना किसी भी व्यक्ति की भावना का द्योतक है।
भावना से सोच का निर्माण होता है। सोच आपके आस पास का वातावरण का निर्माण करती है और आपके आस पास का वातावरण आपके जीवन की दिशा का निर्धारण करता है। हर अच्छी आदत कड़ी के रूप में हमारे जीवन का प्रभावित करती है। एक अच्छी आदत दूसरी अच्छी आदत को आकर्षित करती है। और इसी तरह जीवन में महान व्यक्ति का निर्माण होता है।
पाने से पहले देना सीखो।
इस कथन पर गंभीरता से विचार करें कि पाने से पहले हमको जीवन में देना सीखना होगा और मेरा यकीन करें जब आप इस प्रक्रिया को अपनायेंगे तो जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन होंगें जो आपको बहुत आनंद प्रदान करेंगे।