सोच ही जीवन है।
सफल से सफल और असफल से असफल व्यक्ति के जीवन में परिस्थितियों का कोई ज्यादा अंतर नहीं होता है। अगर अंतर होता है तो सिर्फ और सिर्फ उस व्यक्ति की मानसिकता का,
अक्सर देखने में आता है कि महान लोगों ने तब अपने जीवन का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्षन किया जब कि हालात सबसे मुश्किल थे।
सफलता का आंकलन हालात पर निर्भर है।
किसी भी सफलता का आकलन इस बात से ही किया जाता है कि वो सफलता कैसे हालातों में हासिल की गयी। किसी आई0ए0एस0 की बेटी या बेटा यदि आई0ए0एस0 बनता है तो ये कोई बहुत बड़ी उपलब्धि की बात नहीं मानी जाती क्योंकि ये मान के चला जाता है कि उसके लिये परिस्थितियाँ अनुकूल थी उसको वो सब सुविधायें आसानी से उपलब्ध थी जो कि आई0ए0एस0 बनने के लिये चाहिये।
यदि कोई सब्जी की ठेले का संचालन करने वाले का बेटा या बेटी का जब सिविल सेवाओं में चयन होता है तो सोशल मीड़िया नयी ऊँचाईयों पर इस खबर का प्रचार करता है क्योंकि ये मान लिया जाता है कि विषम परिस्थितियों में असाधारण उपलब्धि को हासिल किया गया है। हमने क्या सफलता हासिल की ये उतना मायने नहीं रखता जितना ये मायने रखता कि कैसे हालातों से हमने ये हासिल किया है। क्योंकि हम कितने नीचे से सफर करने के बाद ऊपर आये हैं ये तो हम ही जानते हैं और हमने उस सफर में कितनी मुश्किलों का सामना किया है।
सफलता के मायने क्या हैं।
हो सकता है कि हमारी सफलता किसी के लिये कोई मायने न रखती हो किंतु हम जानते है कि उस को हासिल करने में हमारा कितना समय और हमारे माँ-बाप की पूरी जिन्दगी लगी है हमारे लिये उसके क्या मायने हैं ये हमसे बेहतर कोई नहीं जानता।
हमारे सोचने का नजरिया कितना महत्वपूर्ण है उसके लिये एक कहानी का जिक्र करना चाहूँगा। शायद आपने पहले भी कहीं पढ़ी हो।
कहानी चील के बच्चे की।
एक चील का बच्चा मुर्गी के बच्चों के साथ पला बढ़ा क्योंकि वो मुर्गी को कहीं पे पड़ा मिला था षायद वो अपने परिवार से बिछड़ गया था। वो मुर्गीयों के साथ ही बड़ा हुआ और बहुत समय तक उसे इस बात का पता ही नहीं था कि वो एक चील है और ऊंची उड़ान के लिये बना है क्योंकि वो खुद को मुर्गी ही समझता रहा जब तक कि उसको उसकी मुर्गी माँ ने जिसने कि उसको पाला उसको ये नहीं बताया कि तुम मुर्गी नहीं हो तुम मुझे पेड़ के नीचे गिरे मिले थे बारिश हो रही थी ऊपर चील का घोंसला था जरूर चील के बच्चे हो और चील आसामान में बहुत ऊपर तक उड़ सकती हैं अगर तुम खुद पे भरोसा करो तो तुम भी ऊँची उड़ान उड़ सकते हो। चील के बच्चे का सोचने का नजरिया बदल गया जो आज तक खुद को मुर्गी का बच्च समझता था और कभी भी अपने पंखों की ताकत को पहचान नही पाया था जो कभी थोड़ा सा भी उड़ नहीं पाया था उसने पंखों को खोला और लम्बी उड़ान पर निकल गया।
मानसिकता का प्रभाव
ये कहानी ये बताती है कि उस चील के बच्चे के जीवन में क्या बदला सिर्फ और सिर्फ उसकी सोच उसकी मानसिकता और पूरा जीवन ही बदल गया।
जीवन को बदलने और बेहतर बनाने के लिये सकारात्मक मानसिकता को अपनाना ही होगा क्योंकि जीवन में बहुत कम अवसर आते हैं जहाँ पर हालात आसान होते हैं जीवन के लिये और ज्यादा से ज्यादा ऐसे अवसर आते हैं जहां हालात मुष्किल से मुष्किल होते चले जाते हैं।
ऐसे में जीवन को समभालने और उसको बेहतर दिशा में अग्रसर करने के लिये सकारात्मक दृष्टिकोण का होना जीवन के लिये अति आवश्यक है और यही नजरिया हमे जीवन में सफल बनाने के लिये चाहिये होता है यही सफल व्यक्तियों की पहचान है कि वो अपनी सकारात्मक सोच से अपने जीवन में उन्नति के मार्ग को प्रशस्त करते हैे।