मेहनत से मनुष्य के चरित्र का विकाश होता है, और लालच से चरित्र का विनाश होता है। अच्छी सोच हमको उत्थान के रास्ते पे ले जाती है और चरित्र निर्मााण में सहायक होती है लेकिन लालच और इच्छाओं का कोई अंत नही है।मनुष्य की इच्छाओं ने कभी भी पूरा नहीं होना है। इस बात को हम एक प्राचीन कथा से समझ सकते हैै।
प्राचीन कथा
एक प्राचीन कथा हैे, एक बहुत दानी राजा था। जो भी याचक प्रातःकाल सबसे पहले उसके पास महल के द्वार पर आता और फिर जो भी मांगता वह राजा उस याचक की हर मनोकामना पूर्ण करता था। एक दिन प्रातःकाल मैं अजीब साधु आया उसके पास एक नरमुंड था उसने राजा को कहा की उसको ये खोपड़ी भर के दान चाइये। क्यों कि वह सबसे पहले द्वार पर आया था तो राजा ने कहा कि जैसा तुम चाहो और मंत्री को कहा कि इस साधु कि खोपड़ी को हीरे जवाहरात से भर दिया जाये,किन्तु जैसे ही खोपड़ी मैं कुछ भी डाला जाता वह गायब हो जाता देखते ही देखते राजा का सारा खजाना ख़तम हो गया मगर वह खोपड़ी नहीं भरी , राजा ने साधु के पैर पकड़ लिए और कहा महाराज ये किस तरह का चमत्कार है। साधु ने कहा कि राजन ये मनुष्य कि खोपड़ी जिसको आज तक कोई भी नहीं भर पाया है।
लालच का कोई अंत नही होता।
मनुष्य ऐसा ही है उसके लालच का कोई अंत नहीं है वह हर समय कुछ न कुछ मांग ही रहा है,यदि उसकी कोई मांग पूरी हो भी जाती है तो उसकी दूसरी मांग तैयार हो जाती है और जो मिल जाता है उसकी कोई भी एहमियत नहीं रह जाती है । किसी दार्शनिक ने कहा है कि कुछ भी हो जाये तो कुछ नहीं होता इसका बहुत गहरा तात्पर्य ये है कि हमारे जीवन मैं बहुत सारे बदलाव आते हैं हम जीवन मैं बहुत सारे कार्य करते हैं कुछ पूर्ण होते हैं कुछ पूरे नहीं होते बहुत कुछ खो देने के बाद और बहुत कुछ मिल जाने के बाद उसको महसूस होता है कि जो खुसी और सुकून उसने चाहा था वह आज भी उसके पास नहीं है।
मनुष्य खुद ही परेशानी चुनता है।
ये बात एक बार को सुनने में अजीब लग सकती है कि कोई कैसे खुद के लिये परेशानी का चुनाव करेगा मगर आप एक बार गौर करके देखिए जो भी आज आपके आस पास है कहीं न कहीं वह आपका ही तो चुनाव है। ये मंजिले ये रास्तें आप ही ने तो चुने हैैं। हलांकि आपने ये सोच कर कोई भी रास्ता नहीं चुना है कि वो आपको दुःख देगा। आपने तो हर किसी रास्ते का चुनाव इस लिये तो किया है कि वो आपके जीवन को आनंद से भर देगा। किंतु आपके जीवन का अनुभव ये है कि किसी भी रास्ते और मंजिल ने आपको वहाँ पर नहीं पहुँचाया है। जहाँ आपने पहुँचना चाहा था।
हर गुलाब का अपना कांटा होता है।
हर किसी चीज के पीछे उसके साथ और भी बातें छुपी हुई होती है। हर खुशीअपने साथ कोई गम ले के आती है और हर गम अपने साथ कोई न कोई सुख लिये रखता है कहने का तात्पर्य ये है कि न तो कोई भी बात उतनी अच्छी है जितनी दिखाई देती है और न ही कोई बात उतनी बुरी है जितना वो दिखता है। हमे किसी भी परिस्तिथि से सामंजस्य स्थापित करना सीखना पड़ता है।
जीवन में हमें जो मिल जाय हमें उसको स्वीकार कर लेना चाहिये और उसको ही बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिये। हमको ईश्वर ने इतना तो दिया है कि हम जीवन को सुकून के साथ जी ही सकते है बशर्ते हम ये पहचान करना सीख जायें कि आवश्यक क्या है और लालच क्या हैै।
और जैसा कि मैनें कहा कि लालच कभी पूरा नहीं किया जा सकता।